About Us

Mission And Vision

हम अपने ऋषि मुनियों के ऋणी हैं,जो आयुर्वेदिक ज्ञान का विशाल भंडार हमारे लिए विरासत मे छोड़ गए । आयुर्वेद (आयु का वेद) मनुष्य को देवताओ की एक ऐसी देन है जो निरोग और दीर्घ जीवन के गूढ़ रहस्य हमें बताती है ।
हमें हमारा “योग संग्रह” आपकी सेवा में प्रस्तुत करने में हमें बड़ा हर्ष हो रहा है । विज्ञान की प्रगति के साथ साथ हमारे यहाँ भी निरंतर रूप से शोध कार्य जारी है और इसके फलस्वरूप सभी योगों की औषधि की गुणवत्ता में वृद्धि की गयी है। अब यह सभी योग आपको ज़ायदा आशुफलदायी परिणाम देंगे।

इस अवसर पर हमारे असंख्य चिकित्सकों के प्रति हम ऋण प्रकट करना चाहेंगे,जिनकी हमारे प्रति अमोघ निष्ठा है।यही नहीं हमारी पूरी प्रगति में उन्होंने न सिर्फ हमें प्रोत्साहित किया है वरन समय समय पर अमूल्य मार्ग दर्शन भी दिया है।
आइये हम और आप अपना संकल्प संस्थान के प्रति दोहराएं कि हम सभी मिलकर इसे और समृद्ध बनाएंगे।

Director's Message

स्वास्थ्य की सौगात

प्राचीन युग मे आयुर्वेद चिकित्सा की शुरुआत देवी-देवताओं के ग्रंथो से हुई थी और बाद में यह मानव चिकित्सा
तक पहुंची । सुश्रुत संहिता में यह साफ-साफ लिखा गया है कि भगवान धनवंतरी, ने किस प्रकार से वाराणसी के पौराणिक राजा के रूप में अवतार लिया और उसके बाद कुछ बुधिमान चिकित्सकों और खुद आचार्य सुश्रुत
को भी दवाइयों के विषय में ज्ञान दिया।

आयुर्वेद के उपचार में ज्यादातर हर्बल चीजो का उपयोग होता है। आयुर्वेदीय ग्रथों के अनुसार कुछ खनिज और धातु पदार्थ का भी उपयोग भी औषधि बनाने में किया जाता है। यहाँ तक की प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथो मे से सर्जरी के कुछ
तरीके बताये गये जो की सभी चिकित्सको ने सीख लिये हैं जैसे नासिकासंधान (Rhinoplasty), पेरिनिअल लिथोटोमी (Perineal
Lithotomy), घावों की सिलाई (Wounds Suturing), आदि।

वैसे तो आयुर्वेद के चिकित्सा को वैज्ञानिक तौर पे माना गया है पर इसे वैज्ञानिक तौर पर पालन ना किया
जाने वाला चिकित्सा प्रणाली कहा जाता है। पर ऐसे भी बहु त सारे शोधकर्ता हैं जो आयुर्वेदिक चिकित्सा को
विज्ञान से जुड़ा (Proto&Science) मानते हैं।
आयुर्वेद किसने लिखा था?
आयुर्वेद कोई ऐसा लेख नही है जो किसी एक ने लिखा था। यह एक ऐसा प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली
है जो सदियों से कई महापुरुष लिखते चले आ रहे हैं।

वैसे तो आज तक आयुर्वेद पर कई लेख लिखे गए हैं पर जो सबसे प्रमुख पौराणिक है चरक संहिता, सुश्रुता
संहिता.और अष्टांग ह्रदय। (Charaka Samhita,Sushruta Samhita and Ashtanga Hridaya)

वैसे तो आयुर्वेद की शुरुआत अथर्ववेद से हुई जो चार वेदों में से एक है जिसमें तरह-तरह के प्राचीन
दवाइयों के विषय में जानकारी दी गयी है। यह बात अष्टांग ह्रदयम Ashtanga Hridayam के प्रथम
अध्याय में आयुर्वेद अवतरण मे आचार्य वाग्भत्ट जी ने लिखा था जिसका मतलब है आयुर्वेद की
उत्पति के विषय में बताया गया है। उसमें यह भी बताया गया है कि ब्रह्माजी ने ही आयुर्वेद का ज्ञान सर्व प्रथम प्रजापति को दिया और आगे उन्होने अपने सभी शिष्यो को दिया।

शुभेच्छु : डा. गौरव मुंजाल

BAMS

सौरभ मुंजाल

B.Sc.

संस्थापक

डा. महीपाल मुन्जाल

M.D
( साहित्य-रत्न)

ओमनी पोटेंटस फार्मास्युटिकल्स
(इंडिया)